एक कला शिखक का कला संकल्प
प्रकृति को बनाया कैनवासकला को जोड़ा गांवों से
मूमल नेटवर्क, पाली। कला शिक्षक नवलसिंह चौहान ने शहर में कला की शिक्षा प्राप्त की और अपनी जन्मभूमि, अपने गांवों को अपनी कला से जोड़कर एक उदाहरण पेश किया है। प्रकृति को अपनी कृतियों से साक्षात्कार करवाकर नवलसिंह ने प्रकृति से वास्तव में जुडऩे का संदेश दिया है। ना केवल इतना ही कला खरीददारों का एक नया बाजार और वर्ग भी तैयार किया है।
प्रति वर्ष जून की चौदह तारीख नवलसिंह के लिए खास होती है। पिछले तीन वर्षों से वो इसी खास दिन पर अपनी पेंटिंग्स का प्रदर्शन किसी ना किसी विशेष अन्दाज से करते हैं। प्रदर्शनी स्थल जरूर गांव ही होता है।
2015 की 14 जून को इस कलाकार ने अपनी कृतियों की प्रदर्शनी स्कूल में लगाकर ना केवल विद्याार्थियों को कला के प्रति आकर्षित किया वरन् स्कूल अध्यापकों के साथ हर श्रेणी वर्ग के लोगों को इससे जोडऩे का प्रयास किया। दूसरी प्रदर्शनी राजस्थान के पाली स्थित कोट किराना पंचायत के अपने गांव भेरू कासियां में लगाई। आर्ट गैलेरी की दीवारे बनी खेजड़ी के पेड़। पहली बार हुए इस आयोजन से जहां गांव वाल अभिभूत हुए वहीं समाज को प्रकृति संजोकर रखने का भी संदेश मिला अपनी इस प्रदर्शनी में नवलसिंह ने 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' का भी संदेश प्रसारित किया।
नवलसिंह की तीसरी पेंटिंग इसी वर्ष 2017 की 14 जून को 24 मील, नेशनल हाईवे नं.-8 पर राजस्थान के जस्साखेड़ा भीम के पास बने एनीकेट में लगी। एनीकेट का पानी बना आर्ट गैलेरी जिसमें इस कलाकार ने अपनी पेंटिंग्स को पानी में तैरने के लिए प्रकृति के सानिध्य में स्वछन्द छोड़ दिया था। प्रयास नया व अनूठा था था जो दर्शकों को खींचकर लाने में सफल हुआ। इतना ही नहीं कला व कलाकार को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से युवा नेता परमेश्वर सिंह सीरमा ने पेंटिंग खरीदी। इस प्रदर्शनी में दीप प्रज्जवलन के साथ उपस्थित जनसमूह ने पानी में पेंटिंग्स तैराकर कला का साथी होने का संकेत दिया।
नवल सिंह की रेखाएं कला प्रेमियों को लुभाने में सक्षम हैं और कला को जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास अतुलनीय। अगला वर्ष 2018 नवलसिंह चौहान के किस अन्दाज में कला का यह पर्व मनाने के लिए आ रहा है, यह अभी तय नहीं हो पाया है। ...हां यह जरूर तय है कि जो होगा कुछ नया, कुछ अनूठा और गांव समाज को एकसाथ लेकर चलने वाला होगा।
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