20081228

हिमाचल देता है नए साल की दावत

हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग ने नव वर्ष के अवसर पर राज्य में आने वाले पर्यटकों के लिए कई आकर्षक प्रस्ताव पेश किए हैं। नव वर्ष के मौके पर ‘ऑर्केस्ट्रा’ और ‘डीजे’ के साथ हिंदी और पंजाबी के गायकों के कार्यक्रम के साथ ही अन्य समारोहों का आयोजन पर्यटन विभाग की सचिव मनीषा नंदा ने कहा कि शिमला, मनाली, चहल, डलहौजी स्थित हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के नौ होटल और धर्मशाला पर्यटक आवास गृह, त्योहार के इस मौसम में कई विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे।नंदा ने बताया कि नव वर्ष के समारोह में केवल जोड़ों को भाग लेने की अनुमति होगी। उन्होंने बताया कि निगम के होटलों में अभी तक नव वर्ष के लिए करीब 80 फीसदी कमरे आरक्षित हो चुके हैं। निगम के होटलों में आरक्षण इंटरनेट या निगम के मार्केटिंग कार्यालय के माध्यम से कराया जा सकता है।

20081222

हवेली कानूनगो

राजस्थान की मिट्टी जहाँ एक और अपने पराकर्म और सीधेपन की सोंधी महक के कारन ख्यात है, वहीं अपनी स्थापत्य शिल्प कौशल की वजह से देश- विदेश में अपनी पहचान बनाये हुए है। राजस्थान के रहवासियों के ह्रदय में मानो प्रेम और कला की देवी का स्थाई वास है। यहाँ की हवेलियों , दुर्गो, किलों और मंदिरों की दीवारों पर उकेरे गए चटकदार रंगों से बने भित्ती चित्र उनकी इसी कलाप्रियता और प्रेम को दर्शाते हैं।
वैसे तो राजस्थान हर हिस्सा अपनी कला को लेकर उपस्थिति दर्ज करवाता है। लेकिन शेखावाटी क्षेत्र में फैला कला का अपूर्व खजाना उसकी भव्यता की कहानी आप कहता है। राजस्थान के शेख्वती क्षेत्र का नम राव शेखजी के नाम पर पड़ा। अथार्त वह उद्यान जिसको राव शेख के वंशजों ने अपने बलिदान व शोर्य से महकाया था। इन लोगों ने सन १४३३ से लेकर १४५८ तक यहाँ पर राज्य किया था। इस अन्तराल में इन्होने कला और कलाकारों को संरक्षण और प्रोत्साहन दिया। लेकिन यहाँ की कला समर्धि का स्वर्णकाल १७५० से १९३० के मध्य की दो शताब्दियों को मन जाता हे। इस कल में राजे- महाराजाओं के अलावा धनी लोगों ने भी अपने कलाप्रेम को निर्माण कार्यों के द्वारा चिर स्थाई बनाने का प्रयास किया। इसी समय में अनेकों मंदिरों, हवेलियों के अलावा कलात्मक कुंवों और बावरियों का भी निर्माण किया गा जो आज भी स्थापत्य कला की दुनिया में बेजोड़ माने जाते है।
हवेली कानूनगो शेखावाटी की विराट एवं अनोखी हवेलियीं की श्रंखला में अग्रणीय है। यह हवेली खाती श्यामजी के नम से विख्यात क्षेत्र में स्थित है। खाटू के सेठजी साधुराम सुरज्बक्ष द्वारा बने गई है। यह हवेली अपनी विशाल भव्यता के अलावा सेकडों खिड़कियों के कारन भी देखने वालों को सहज ही अपनी और आकर्षित करती है।
लगभग २५००० फुट में फैली इस हवेली के निर्माण में तीन वर्ष छ माह का समय लगा और इस कार्य में ३५००० रुपये खर्च हुए। इसका निर्माण १९२८ से १९३१ के बीच हुआ। इस निर्माण में यहाँ के कारीगर नानगराम ने अपने पुत्र सूरजमल के साथ मिलकर निर्माण कार्य किया। हवेली के बीच चौक में विष्णु आयुध धारण किए हुए है तथा विजयलक्ष्मी की मूर्ति विराजमान है।

20081221

गाइड आन साईकिल विथ बैग

साइकिल पर विदेशी टूरिस्टों को चंडीगढ़ घुमाने का शौक अब तेहत्तर वर्षीय नरेद्र सिंह इटरनेशनल की देशभक्ति का सबूत बन चुका है। गाइड नरेन्द्र , अब तक सौ से ज्यादा विदेशी टूरिस्टों जिनमें ज्यादातर युवतिया और महिलाएं शामिल है को लूट-खसूट,छेड़खानी और बुरे बर्ताव से बचा चुके है। नरेन्द्र कहते है -बाहर से आए लोगों को सही रास्ता दिखाना देशभक्ति से कम नहीं है। मेरा काम यही है कि विदेशी, भारत के बारे में अच्छी इमेज बनाएं।
वाकई,लूट खसूट करने वाले टिपीकल बिजनेस बेस्ट हिदुस्तानी गाइड की इमेज में फिट नहीं बैठने वाले नरेन्द्र सिंह अपने इस मिशन को 1959 से तहे-दिल और भरसक कोशिशों से जिंदा रखे हुए हैं।
वे विदेशी टूरिस्टों को ठिकाने के लिए सबसे सस्ती धर्मशालाओं,पंचायत भवन, मंदिर और गुरुद्वारों में ले जाते है ताकि वे बाजार की गैर जरूरी लूट से बच सकें। नरेन्द्र वह किस्सा नहीं भूलते जब एक रात उन्होंने इंटर स्टेट बस टर्मिनल के नजदीक इटली की एक टूरिस्ट को बचाया था। वे कहते है कि उसे रिक्शा वालों से बचाने का वाकिया मुझे हमेशा याद रहेगा, क्योंकि हमलावरों के पास चाकू भी था। इटालियन युवती ब्राडनी बरनाडिनी को बचाने पर पंजाब सरकार ने सिंह को सर्टीफिकेट भी दिया।
पंजाब के चीफ मिनीस्टर प्रताप सिंह कैरों के स्टाफ में काम करते हुए 1959 में नरेन्द्र एक विदेशी टूरिस्ट पीस कार्वोलेंटियर को यूं ही शहर घुमाने निकल पड़े थे और यहीं से ये शुरूआत हो गई।
पंजाब सरकार में अपर सचिव पद से रिटायर हुए सिंह के परिवार में उनकी पत्‍‌नी सुरजीत कौर व शादीशुदा बेटा-बहू है। विदेशी टूरिस्टों के लिए सेवा-भाव से घर वालों को पहले पहल काफी दिक्कतें हुई लेकिन अब यह सब जिंदगी का हिस्सा हो चुके है। अब तक एक लाख विदेशी टूरिस्टों को सिटीब्युटीफुल की सैर करा चुके नरेन्द्र यह बताना नहीं भूलते कि मैं 1972 में जिस ब्रिटिश महिला का मैं गाइड था वह मार्गेट थैचर थीं, जो बाद में लगातार तीन बार ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनीं।

हर एक से मिलने वाले नरेन्द्र सिंह इटरनेशनल हर समय काधे पर या साइकिल पर थैला लटकाए रहते हैं, इसमें टूरिस्ट गाइड बुक और उनकी यादों को हर पल तरोताजा रखने वाली डायरी रहती है। इस डायरी में सैकड़ों विजिटिग कार्ड है जिनके पीछे विदेशी पर्यटक भारतीयों के प्रति शुक्रिया लिख गए हैं। पेंशन पर गुजर बसर कर रहे सिंह की - द टूरिस्ट फ्रेंड वेलकम- के बतौर की पहल अब किसी मिशन से कम नहीं है, वे टूरिस्टों से भी कोई चार्जेस नहीं लेते। उनके पास इग्लैंड, अमेरिका, पेरिस, जर्मनी और आस्ट्रेलिया, स्पेन, इटली के सैकड़ों पते और पत्र हैं।
सिंह का कहना है कि हर विदेशी पर्यटक अमीर नहीं होता है इनमें विदेशी ग्रामीण अंचल से भी बड़ी तादाद में पर्यटक आते हैं उन्हे उनकी जेब के मुताबिक ठिकाने और खाने की राह बताई जाए यह हम सब का फर्ज है। क्योंकि वे हमारे देश में मेहमान है, आपराधिक तत्वों से उनकी हिफाजत करना हर भारतीय का दायित्व है।

20081212

सबसे बडी ओपन आर्ट-गैलरी

शेखावटी की हवेलियों को दुनिया की सबसे बडी ओपन आर्ट-गैलरी की भी संज्ञा दी जाती है। इन हवेलियों पर बने चित्र शेखावटी इलाके की लोक रीतियों, त्योहारों, देवी-देवताओं और मांगलिक संस्कारों से परिचय कराते हैं। ये इस इलाके के धनाड्य व्यक्तियों की कलात्मक रुचि की भी गवाही देते हैं। यूं तो इस इलाके में चित्रकारी की परंपरा छतरियों, दीवारों, मंदिरों, बावडियों और किलों-बुर्जो पर जहां-तहां बिखरी है। लेकिन धनकुबेरों की हवेलियां इस कला की खास संरक्षक बनकर रहीं। अ‌र्द्ध-रेगिस्तानी शेखावटी इलाका राव शेखाजी (1433-1488 ईस्वी) के नाम पर अस्तित्व में आया। व्यवसायी मारवाडी समुदाय का गढ यह इलाका कुबेरों की धरती, लडाकों की धरती, उद्यमियों की धरती, कलाकारों की धरती आदि कई नाम से जाना जाता है। अब यह इलाका अपनी हवेलियों और ऑर्गेनिक फार्मिग के लिए चर्चा में है।

शुरुआती दौर की पेंटिंग गीले प्लास्टर पर इटालियन शैली में चित्रित किए गए हैं, जिस शैली को फ्रेस्को बुआनो कहते हैं। इसमें चूना पलस्तर के सूखने की प्रक्रिया में ही रंगाई का सारा काम हो जाता था। वही इसकी दीर्घजीविता की भी वजह हुआ करती थी। कहा जाता है कि यह शैली मुगल दरबार से होती हुई पहले जयपुर और फिर वहां से शेखावटी तक पहुंची। मुगलकाल में यह कला यूरोपीय मिशनरियों के साथ भारत पहुंची थी। शुरुआती दौर के चित्रों में प्राकृतिक, वनस्पति व मिट्टी के रंगों का इस्तेमाल किया गया था। बाद के सालों में रसायन का इस्तेमाल शुरू हुआ और यह चित्रकारी गीले के बजाय सूखे पलस्तर पर रसायनों से की जाने लगी।

जानकार इस कला के विकास को यहां के वैश्यों की कारोबारी तरक्की से भी जोडते हैं। हालांकि अब आप इस इलाके में जाएं तो वह संपन्नता भले ही बिखरी नजर न आए लेकिन कुछ हवेलियों में चित्रकारी बेशक सलामत नजर आ जाती है। चित्रकारी की परंपरा यहां कब से रही, इसका ठीक-ठीक इतिहास तो नहीं मिलता। अभी जो हवेलियां बची हैं, उनकी चित्रकारी 19वीं सदी के आखिरी सालों की बताई जाती हैं। यकीनन उससे पहले के दौर में भी यह परंपरा रही होगी लेकिन रख-रखाव न होने के कारण कालांतर में वे हवेलियां गिरती रहीं। लेकिन हवेलियों में चित्र बनाने की परंपरा इस कदर कायम रही कि वर्ष 1947 से पहले बनी ज्यादातर हवेलियों में यह छटा बिखरी मिल जाती है।

20081208

मनाली में मनाएं हनीमून

हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम ने नव दंपत्तियों को आगामी 20 दिसंबर 2008 तक के लिए आकर्षक हनीमून पैकेज का आफर किया है। हनीमून पैकेज के अंतर्गत राज्य के लोकप्रिय पर्यटक स्थल मनाली के कुंजम और रोहतांग मनालसू होटलों में ठहरने वाले नवविवाहितों को तीन रात और चार दिन के लिए 9400 रुपये की बजाय 4700 रुपये में इन सरकारी होटलों में ठहराया जाएगा। पैकेज के तहत जोडों को मोडिफाईड अमेरिकन प्लान के अंतर्गत सुविधाएं दी जाएंगी। नवविवाहितों को वेलकम ड्रिंक, बेड टी, नाश्ता और लंच या डिनर (शाकाहारी भोजन) मुफ्त उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके अलावा नवदंपतियों को लग्जरी बसों में मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्नो प्वाइंट (आम तौर पर रोहतांग दर्रा) तक भ्रमण करवाया जाएगा और मनाली के प्रतिष्ठित क्लब हाउस के डिस्कोथिक में मुफ्त प्रवेश दिया जाएगा। हनीमून पैकेज का आरक्षण देश भर में राज्य पर्यटन निगम के सभी कार्यालयों से या फिर इंटरनेट के जरिये किया जा सकता है।
इसके अलावा हिमाचल पर्यटन विकास निगम सर्दियों में यानी 15 नवंबर से 14 अप्रैल तक अपनी ज्यादातर होटलों में सैलानियों को 20 से 30 फीसदी की छूट किरायों में दे रहा है। हालांकि इनमें से कुछ में यह छूट क्रिसमस व नए साल पर यानी 23 दिसंबर से 2 जनवरी तक नहीं मिलेगी।

20081128

परिंदों से उड़ जाएँगे पर्यटक

आतंकारियों को वक्त रहते माकूल जवाब नही दिया तो पर्यटक उन परिंदों की तरह उड़ जाएँगे, जैसे ताज होटल के गुम्बज से उड़ गये है, और साथ ले जाएँगे ढेर सी विदेशी मुद्रा।

20081124

वोट से बनेगा यात्री राजा


मताधिकार का उपयोग जरुर करें।
कला, संस्कृति और शिल्प के बारे में बात करते हुए राजनीति पर चर्चा करने का मेरा कोई इरादा नहीं है। इनदिनों चारों और चल रही चुनावी चर्चाओं के बीच केवल यह कहना जरुरी लग रहा है कि अगर कोई नेता या उसकी पार्टी हमारी विशेष जरूरतों की बात नहीं करे या इनके लिए कोई चुनावी वादा नही करे तो इस बात की परवाह न करें। उन पर नाराज होकर अपनी ताकत को बेकार न जाने दें। वोट डालने के मामले में उदासीन न हों। अपने मताधिकार का उपयोग जरुर करें।
हो सकता है हमारी जरुररों की मांग अभी जंगल में रोने के सिवाय कुछ नहीं, लेकिन हमारा यह वोट सिर्फ चुनाव लड़ने वालों की ही किस्मत नहीं बदलेगा, यह हमारी भी किस्मत बदलेगा। हम जिस तरह के उम्मीदवार को वोट देंगे, हमारा मुस्तकबिल भी वैसा ही होगा। वोट ही हमारी ताकत है। अगर सभी वोट डालें और सही आदमी को चुनें तो मुझे नहीं लगता कि बिजली, पानी, सड़क, स्कूल या रोजगार के साथ हमारी अन्य दिक्कतें भी दूर होगी। वोट ही हमें तरक्की के रास्ते पर ले जा सकता है।
आजादी यही तो है। यहां हम अपनी मर्जी का हुक्मरान चुनते है जो हमारी मर्जी से काम करता है। अगर वह हमारे लिए काम नहीं करेगा तो हम उसे बदल देंगे। इसी पोलिंग बूथ के रास्ते हमें मंजिल मिलेगी। हमें अपनी कला और संस्कृति के विकास व समृद्धि की जरूरत है और यह सब हासिल करने का यह सबसे बढि़या तरीका है। अब सभी लोगों ने इस सच्चाई को समझ लिया है इसलिए वे अपने मत का प्रयोग करने के लिए वोट डालते हैं। अपने मताधिकार का प्रयोग करने से जी चुराने वालों को अपनी ताकत जानने की जरूरत है। वोट देना हमारा फर्ज है। इससे हमारी तकदीर बदलती है।
यही एक दिन होता है जिस दिन हम बादशाह होते है और अगले कुछ सालों तक किसी और को बादशाहत देते है ताकि वह हमारे लिए काम करे। अच्छी हुकूमत होगी तो ये दिक्कतें दूर हो जाएंगी।अगर हम वोट डालने नहीं आएंगे तो फिर वही लोग हुकुमत करेंगे जो हमारी पसंद के नहीं होंगे और जिन्हे हमारी कोई चिंता नहीं होगी। आपने कभी वोट डाला है? अगर नहीं तो फिर इस बार आप वोट जरुर डालो, अपने आप पता चल जाएगा कि अपनी ताकत का सही इस्तेमाल करना कैसा लगता है।

20081123

शेखावाटी की हवेलीओं का सच !




चित्रित हवेलियों से भरा-पूरा शेखावटी


शेखावाटी की हवेलिओं के बारे में आप ने पहले भी काफी खुच पढ़ा और देखा होगा। इस बार चलिए मूमल के संग, और महसूस कीजिये यात्रा का अंतर। मेरे साथ आप देखेंगे हवेलिओं के भीतर का वह सच जो अब तक जगजाहिर नही है।


पहले चरण में प्रस्तुत है सामान्य सकारात्मक आलेख ......


डुंडलोद स्थित गोयनका हवेली खुर्रेदार हवेली के नाम से प्रसिद्ध है। स्थापत्य का अप्रतिम उदाहरण इस हवेली का निर्माण उद्योग कर्मी अर्जन दास गोयनका द्वारा करवाया गया था, जो अपने समय के सुविज्ञ दूरदर्शी थे। व्यापार-व्यवसाय से जुडे होने के बावजूद वे लोक रंग लोकरीति और लोक कलाओं के संरक्षण के प्रबल इच्छुक थे और इसलिए उन्होंने अपनी इस विशालकाय चौक की हवेली के बाहर दो बैठकें, आकर्षक द्वार और भीतर सोलह कक्षों का निर्माण करवाया था जिनके भीतर कोटडियों, दुछत्तियों, खूटियों, कडियों की पर्याप्त व्यवस्था रखी गई थी। उन्हें प्राचीन दुर्लभ ग्रंथों, आकर्षक बर्तनों, खाट-मुढ्ढियां, झाड-फानूस, आदमकद शीशों और औषधियों के लिए सुंदर बोतलों को एकत्रित करने का शहंशाही शौक था।
उनके वंशज मोहन गोयनका ने सन् 1950 में हवेली के कुछ कमरे खोल कर देखे थे, जिन्हें 2004 में फिर से खोल दिया गया है। भीतर से पूरी तरह चित्रांकित इस हवेली को नया रूप देने का कार्य 2000 में ही शुरू कर दिया था। उन्होंने यह सोचते हुए कि शेखावटी में कलात्मक और दुर्लभ वस्तुओं के प्रदर्शन का कोई संग्रहालय नहीं है, इस हवेली को एक अतुलनीय संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया। इस घुमावदार खुर्रे की हवेली का भीतरी हिस्सा लोक चित्रों से भरा पूरा है जिनमें श्रीकृष्णकालीन लीलाओं के चित्रों की बहुतायत है।
फतेहपुर में नंदलाल डेबडा की हवेली, कन्हैयालाल गोयनका की हवेली, नेमी चंद चौधरी की हवेली और सिंघानियों की हवेली ऐसी इमारतें है, जिन्हें देखना पर्यटक पसंद करते हैं। महनसर में सेजराम पोद्दार की हवेली की सोने-चांदी की दुकान, पोद्दारों की छतरियां और गढ भव्य इमारतें हैं तो बिसाऊ में सीताराम सिगतिया की हवेली और पोद्दारों की हवेली का कोई जवाब नहीं है।
रामगढ शेखावाटी में राम गोपाल पोद्दार की छतरी में राम कालीन कथा चित्रांकित है, घनश्याम दास पोद्दार की हवेली आकर्षक और कलात्मक है तो ताराचंद रूइया और रामनारायण खेमका हवेली के अपने आकर्षण हैं। झुंझुनूं में टीबडे वालों की हवेली और ईसरदास मोदी की सैकडों खिडकियों वाली भव्य हवेलियां हैं। मंडावा में सागरमल लडिया की हवेली, रामदेव चौखानी की हवेली मोहनलाल नेवटिया की हवेली रामनाथ गोयनका की हवेली हरी प्रसाद ढेंढारिया की हवेली ओर बुधमल मोहनलाल की भी दर्शनीय है। चूडी में शिवप्रसाद नेमाणी की हवेली भी कलात्मकता का परिचय देती है जहां शिवालय की छतरी में श्रीकृष्ण कालीन रासलीलाएं संगमरमरी पत्थरों पर अंकित हैं। चूरू में भी मालजी का कमरा, सुराणों का हवामहल, रामविलास गोयनका की हवेली, मंत्रियों की बडी हवेली और कन्हैयालाल बागला की हवेली दर्शनीय है।


मूमल विशेष : अगले चरण में आप रूबरू होंगे शेखावाटी की हवेलिओं के अन्य पक्षों से।

20081122

अभी महंगी है यात्रा


ट्रेवल एजेंसियों की पौ-बारह
चुनाव सीजन और शादी- सावों की मारामारी ने इन दिनों राजस्थान में ट्रैवल एजेंसियों की पौ-बारह है। टूरिस्ट के लिए वाजिब किराये पर वहां जुटाना मुश्किल हो रहा है।

चुनाव प्रचार के लिए गाड़ियों की बुकिंग के कारण जहां ट्रेवल एजेंसी संचालक दोगुनी राशि वसूल रहे हैं, वहीं इस मारामारी के कारण शादियों में कार-जीप अथवा लग्जरी गाड़ियों की बुकिंग कराना भी कठिन हो गया है। हालत यह है कि प्रदेश की अधिकांश ट्रैवल एजेंसियों की गाड़िया चुनाव प्रचार के लिए बुक की जा चुकी हैं। मांग ज्यादा होने के कारण बुकिंग की राशि में 50 फीसदी तक का इजाफा किया जा चुका है। इसके बावजूद अब गाड़ियां ढूंढे से नहीं मिल रही है और इसका खामियाजा शादी की तैयारियों में जुटे लोगों के साथ पर्यटकों को भी भुगतान पड़ रहा है। चुनाव और शादी का सीजन के साथ-साथ होने के कारण गाड़ियों की बुकिंग का टोटा पड़ गया है। ये स्थिति तकरीबन सभी स्थानों पर है कि शादियों के लिए गाड़ियां उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मजबूरी में दोगुने दामों में गाड़ियां लेनी पड़ रही हैं, वो भी खासी मान-मनोव्वल के बाद।

मजेदार बात यह है कि राजस्थान के शहरी क्षेत्र में शादी के सीजन में लग्जरी, गाड़ियों में स्कॉर्पियो, पजेरो, इनोवा और बोलेरो की मांग ज्यादा रहती है और यहीं गाड़ियां इन दिनों चुनाव प्रचार में सर्वाधिक पसंद की जा रही है। ऐसे में ज्यादा किराए के चक्कर में एजेंसी संचालक शादी-ब्याह पर चुनावी मुहिम को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। एक ट्रैवल एजेंसी संचालक का इस संबंध में कहना है कि चुनाव के दौरान रिस्क तो है लेकिन पैसा भी लगभग दोगुना मिलता है। ऐसे में शादियों या टूरिस्ट के लिए बुकिंग करने के लिए गाड़िया हैं ही नहीं। 4 दिसंबर तक गाड़ियां बुक हैं। ऐसे में गाड़ियां मिलना टेढ़ी खीर हो गया है और मिल रही हैं तो किराया दोगुना चुकाना पड़ रहा है। लगभग यह स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की है।

मूमल विचार: यही बेहतर होगा की चार दिसम्बर तक पर्यटन का कार्यक्रम स्थगित रखें। अगर होटल आदि की शेष बुकिंग हो चुकी है तो सरकारी साधनों का उपयोग करें। इसमें राजस्थान पर्यटन निगम की टूरिस्ट बस या प्रमुख पर्यटक स्थलों तक पहुँचने वाली सी.टी.एस. बस सेवा से काम चलाया जाए।

20081113


20081112

पुष्कर मेला परवान पर

विदेशी सैलानियो की तादाद पिछले साल की तुलना में कम
अजमेर के पास प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पुष्कर धार्मिक मेला ब्रह्ममहूर्त में कार्तिक एकादशी से प्रारंभ हो गया है। हजारों श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान कर पूजा अर्चना की। कहते हैं यहाँ पूर्णिमा तक ब्रह्म एवं अन्य सभी 33 करोड़ देवी देवता पुष्कर में निवास करते है।

पंचतीर्थ स्नान 13 नवंबर को पूर्णिमा को संपन्न होगा। इस वर्ष पुष्कर पशु मेले में विभिन्न प्रजाति के सत्रह हजार पशु आए। पिछले वर्ष के मुकाबले ऊंट कम संख्या में आए, लेकिन फिर भी संख्या सर्वाधिक (नौ हजार से ज्यादा ) रही। अभी भी काफी लोग संख्या में कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए रुके हुए है। मेले में पशुपालकों एवं पशुओं की चिकित्सा, आवास आदि के पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई हैं।

मेले में भाग लेने के लिए विभिन्न यूरोपीय देशों से आए हुए दो हजार से भी अधिक पर्यटक भारतीय संस्कृति वैदिक परंपराओं और राजस्थानी लोक संस्कृति परिवेश धरोहर से प्रभावित है। ऊंट सफारी पर्यटकों के आनंद और राजस्थानी लोक संस्कृति के अध्ययन का केंद्र बिंदु रही है। ऊंट सफारी पर घूमते विदेशी पर्यटक मेले में खूबियों को कैमरे में शूट करते देखे जा रहें है। यहाँ यह बता देना उचित होगा की इस बार विदेशी सैलानियो की तादाद पिछले साल की तुलना में काफी कम है।

20081110

पुष्कर पर परेशानिओं के बादल

Tourists cry off, Pushkar feels pinch
RAKHEE ROY TALUKDAR

Foreigners at a rally in Ajmer in October to save the Pushkar lake from pollution
The Wall Street whirlpool has sucked in Rajasthan’s flourishing tourism industry with the immediate victim being the Pushkar fair usually graced by visitors from all over the US and Europe.
Tour operators said 40 per cent of the advance bookings for the fair, to be held from November 5-13, had been cancelled, something that has never happened before, leaving the industry shell-shocked.
Khalid Khan, the president of the Rajasthan Association of Tour Operators, said: “The Pushkar fair has been a major casualty of the meltdown this year. At least 40 per cent cancellations have been recorded, mostly from the US and Europe.
“Overall in the state, we do not have many bookings for November and hardly any for January 2009 when the peak season starts. There are anxious queries among foreign travellers as they face the reality of a credit crunch and rising debt and delinquency.”
Khan said the forecast for the tourist season, which usually starts around Christmas and goes on till March, looked bleak at present.
“Hotels are offering special discounts but are not ready to make it public, preferring to do it on a one-to-one basis with the client,” he said.
The hospitality industry, which banks on the peak season, has begun feeling the heat. Timmie Kumar, the owner of the five-star Clarks Amer in Jaipur, said: “October has not been too bad but November onwards, things would definitely not be as good as last year. No major cancellations, but bookings for the future have been bleak till now.”
Tourism executives also fear the serial blasts in Jaipur, Ahmedabad, Bangalore, Delhi and Guwahati this year would have had an impact on foreign tourists, especially those from the US and Europe who have not witnessed any terrorist act since the 9/11 blasts and the July 2007 London bombings.

20081108

शुभयात्रा

पर्यटन से जुड़ी ख़बरों के लिए अब तक आप से हर पन्द्रह दिन में "मूमल" मुखातिब होती रही है। आपकी प्रतिक्रियाओं से यह साफ़ हो गया कि आपसे रूबरू होने के लिए पन्द्रह दिन का अन्तराल बहुत ज्यादा है। आप तक कागज के जरिये पहुँचने कि मेरी कुछ सीमाएं हैं। जाहिर है समय और साधन के साथ आर्थिक कारण भी इस अन्तराल को बढ़ा रहा था। इस दूरी और अन्तराल को कम कराने के लिए जी-मेल के इस ब्लॉग कि जितनी सराहना कि जाए कम है।
हो सकता है सूचनाओं के इस ब्लॉग को मैं रोज अपडेट नहीं कर सकूँ , लेकिन यह भरोसा दिलाना चाहती हूँ कि मुझे जो भी नई जानकारी मिलेगी , समाचार पता चलेगा या आप के हित में जगजाहिर करने जैसी कोई बात सामने आएगी उसे मैं जल्द से जल्द आपके लिए इस ब्लॉग पर बेलाग परोस दूंगी।
खासकर राजस्थान की यात्रा के बारे में आपको वह ताजा जानकारियां हिन्दी में हांसिल होगी।
आपकी सहयात्री
"मूमल"