20081222

हवेली कानूनगो

राजस्थान की मिट्टी जहाँ एक और अपने पराकर्म और सीधेपन की सोंधी महक के कारन ख्यात है, वहीं अपनी स्थापत्य शिल्प कौशल की वजह से देश- विदेश में अपनी पहचान बनाये हुए है। राजस्थान के रहवासियों के ह्रदय में मानो प्रेम और कला की देवी का स्थाई वास है। यहाँ की हवेलियों , दुर्गो, किलों और मंदिरों की दीवारों पर उकेरे गए चटकदार रंगों से बने भित्ती चित्र उनकी इसी कलाप्रियता और प्रेम को दर्शाते हैं।
वैसे तो राजस्थान हर हिस्सा अपनी कला को लेकर उपस्थिति दर्ज करवाता है। लेकिन शेखावाटी क्षेत्र में फैला कला का अपूर्व खजाना उसकी भव्यता की कहानी आप कहता है। राजस्थान के शेख्वती क्षेत्र का नम राव शेखजी के नाम पर पड़ा। अथार्त वह उद्यान जिसको राव शेख के वंशजों ने अपने बलिदान व शोर्य से महकाया था। इन लोगों ने सन १४३३ से लेकर १४५८ तक यहाँ पर राज्य किया था। इस अन्तराल में इन्होने कला और कलाकारों को संरक्षण और प्रोत्साहन दिया। लेकिन यहाँ की कला समर्धि का स्वर्णकाल १७५० से १९३० के मध्य की दो शताब्दियों को मन जाता हे। इस कल में राजे- महाराजाओं के अलावा धनी लोगों ने भी अपने कलाप्रेम को निर्माण कार्यों के द्वारा चिर स्थाई बनाने का प्रयास किया। इसी समय में अनेकों मंदिरों, हवेलियों के अलावा कलात्मक कुंवों और बावरियों का भी निर्माण किया गा जो आज भी स्थापत्य कला की दुनिया में बेजोड़ माने जाते है।
हवेली कानूनगो शेखावाटी की विराट एवं अनोखी हवेलियीं की श्रंखला में अग्रणीय है। यह हवेली खाती श्यामजी के नम से विख्यात क्षेत्र में स्थित है। खाटू के सेठजी साधुराम सुरज्बक्ष द्वारा बने गई है। यह हवेली अपनी विशाल भव्यता के अलावा सेकडों खिड़कियों के कारन भी देखने वालों को सहज ही अपनी और आकर्षित करती है।
लगभग २५००० फुट में फैली इस हवेली के निर्माण में तीन वर्ष छ माह का समय लगा और इस कार्य में ३५००० रुपये खर्च हुए। इसका निर्माण १९२८ से १९३१ के बीच हुआ। इस निर्माण में यहाँ के कारीगर नानगराम ने अपने पुत्र सूरजमल के साथ मिलकर निर्माण कार्य किया। हवेली के बीच चौक में विष्णु आयुध धारण किए हुए है तथा विजयलक्ष्मी की मूर्ति विराजमान है।

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