20081228
हिमाचल देता है नए साल की दावत
20081222
हवेली कानूनगो
वैसे तो राजस्थान हर हिस्सा अपनी कला को लेकर उपस्थिति दर्ज करवाता है। लेकिन शेखावाटी क्षेत्र में फैला कला का अपूर्व खजाना उसकी भव्यता की कहानी आप कहता है। राजस्थान के शेख्वती क्षेत्र का नम राव शेखजी के नाम पर पड़ा। अथार्त वह उद्यान जिसको राव शेख के वंशजों ने अपने बलिदान व शोर्य से महकाया था। इन लोगों ने सन १४३३ से लेकर १४५८ तक यहाँ पर राज्य किया था। इस अन्तराल में इन्होने कला और कलाकारों को संरक्षण और प्रोत्साहन दिया। लेकिन यहाँ की कला समर्धि का स्वर्णकाल १७५० से १९३० के मध्य की दो शताब्दियों को मन जाता हे। इस कल में राजे- महाराजाओं के अलावा धनी लोगों ने भी अपने कलाप्रेम को निर्माण कार्यों के द्वारा चिर स्थाई बनाने का प्रयास किया। इसी समय में अनेकों मंदिरों, हवेलियों के अलावा कलात्मक कुंवों और बावरियों का भी निर्माण किया गा जो आज भी स्थापत्य कला की दुनिया में बेजोड़ माने जाते है।
हवेली कानूनगो शेखावाटी की विराट एवं अनोखी हवेलियीं की श्रंखला में अग्रणीय है। यह हवेली खाती श्यामजी के नम से विख्यात क्षेत्र में स्थित है। खाटू के सेठजी साधुराम सुरज्बक्ष द्वारा बने गई है। यह हवेली अपनी विशाल भव्यता के अलावा सेकडों खिड़कियों के कारन भी देखने वालों को सहज ही अपनी और आकर्षित करती है।
लगभग २५००० फुट में फैली इस हवेली के निर्माण में तीन वर्ष छ माह का समय लगा और इस कार्य में ३५००० रुपये खर्च हुए। इसका निर्माण १९२८ से १९३१ के बीच हुआ। इस निर्माण में यहाँ के कारीगर नानगराम ने अपने पुत्र सूरजमल के साथ मिलकर निर्माण कार्य किया। हवेली के बीच चौक में विष्णु आयुध धारण किए हुए है तथा विजयलक्ष्मी की मूर्ति विराजमान है।
20081221
गाइड आन साईकिल विथ बैग
पंजाब के चीफ मिनीस्टर प्रताप सिंह कैरों के स्टाफ में काम करते हुए 1959 में नरेन्द्र एक विदेशी टूरिस्ट पीस कार्वोलेंटियर को यूं ही शहर घुमाने निकल पड़े थे और यहीं से ये शुरूआत हो गई।
सिंह का कहना है कि हर विदेशी पर्यटक अमीर नहीं होता है इनमें विदेशी ग्रामीण अंचल से भी बड़ी तादाद में पर्यटक आते हैं उन्हे उनकी जेब के मुताबिक ठिकाने और खाने की राह बताई जाए यह हम सब का फर्ज है। क्योंकि वे हमारे देश में मेहमान है, आपराधिक तत्वों से उनकी हिफाजत करना हर भारतीय का दायित्व है।
20081212
सबसे बडी ओपन आर्ट-गैलरी
शेखावटी की हवेलियों को दुनिया की सबसे बडी ओपन आर्ट-गैलरी की भी संज्ञा दी जाती है। इन हवेलियों पर बने चित्र शेखावटी इलाके की लोक रीतियों, त्योहारों, देवी-देवताओं और मांगलिक संस्कारों से परिचय कराते हैं। ये इस इलाके के धनाड्य व्यक्तियों की कलात्मक रुचि की भी गवाही देते हैं। यूं तो इस इलाके में चित्रकारी की परंपरा छतरियों, दीवारों, मंदिरों, बावडियों और किलों-बुर्जो पर जहां-तहां बिखरी है। लेकिन धनकुबेरों की हवेलियां इस कला की खास संरक्षक बनकर रहीं। अर्द्ध-रेगिस्तानी शेखावटी इलाका राव शेखाजी (1433-1488 ईस्वी) के नाम पर अस्तित्व में आया। व्यवसायी मारवाडी समुदाय का गढ यह इलाका कुबेरों की धरती, लडाकों की धरती, उद्यमियों की धरती, कलाकारों की धरती आदि कई नाम से जाना जाता है। अब यह इलाका अपनी हवेलियों और ऑर्गेनिक फार्मिग के लिए चर्चा में है।
शुरुआती दौर की पेंटिंग गीले प्लास्टर पर इटालियन शैली में चित्रित किए गए हैं, जिस शैली को फ्रेस्को बुआनो कहते हैं। इसमें चूना पलस्तर के सूखने की प्रक्रिया में ही रंगाई का सारा काम हो जाता था। वही इसकी दीर्घजीविता की भी वजह हुआ करती थी। कहा जाता है कि यह शैली मुगल दरबार से होती हुई पहले जयपुर और फिर वहां से शेखावटी तक पहुंची। मुगलकाल में यह कला यूरोपीय मिशनरियों के साथ भारत पहुंची थी। शुरुआती दौर के चित्रों में प्राकृतिक, वनस्पति व मिट्टी के रंगों का इस्तेमाल किया गया था। बाद के सालों में रसायन का इस्तेमाल शुरू हुआ और यह चित्रकारी गीले के बजाय सूखे पलस्तर पर रसायनों से की जाने लगी।
जानकार इस कला के विकास को यहां के वैश्यों की कारोबारी तरक्की से भी जोडते हैं। हालांकि अब आप इस इलाके में जाएं तो वह संपन्नता भले ही बिखरी नजर न आए लेकिन कुछ हवेलियों में चित्रकारी बेशक सलामत नजर आ जाती है। चित्रकारी की परंपरा यहां कब से रही, इसका ठीक-ठीक इतिहास तो नहीं मिलता। अभी जो हवेलियां बची हैं, उनकी चित्रकारी 19वीं सदी के आखिरी सालों की बताई जाती हैं। यकीनन उससे पहले के दौर में भी यह परंपरा रही होगी लेकिन रख-रखाव न होने के कारण कालांतर में वे हवेलियां गिरती रहीं। लेकिन हवेलियों में चित्र बनाने की परंपरा इस कदर कायम रही कि वर्ष 1947 से पहले बनी ज्यादातर हवेलियों में यह छटा बिखरी मिल जाती है।
20081208
मनाली में मनाएं हनीमून
इसके अलावा हिमाचल पर्यटन विकास निगम सर्दियों में यानी 15 नवंबर से 14 अप्रैल तक अपनी ज्यादातर होटलों में सैलानियों को 20 से 30 फीसदी की छूट किरायों में दे रहा है। हालांकि इनमें से कुछ में यह छूट क्रिसमस व नए साल पर यानी 23 दिसंबर से 2 जनवरी तक नहीं मिलेगी।